Saturday 1 August 2015

Kya kre kya nahi

बचपन से हम अपने घरों में ये सुनते आए हैं कि मछली खाने के बाद दूध नहीं पीना चाहिए. ये फायदा पहुंचाने के बजाय जहर की तरह असर करता है. इसी तरह दूध पीने के तुरंत बाद मछली खाना भी नुकसानदेह हो सकता है.
ये बात पूरी तरह से आयुर्वेद पर आधारित है. आयुर्वेद में कई ऐसी चीजों को उल्लेख है जिन्हें दूध के साथ या उसके ठीक बाद लेना खतरनाक साबित हो सकता है. अगर आप रोजाना मछली खाने के बाद दूध का सेवन करते हैं तो आपको leukoderma हो सकता है.
leukoderma एक ऐसी स्थ‍िति है जिसमें त्वचा पर सफेद चकत्ते पड़ जाते हैं. मछली के साथ दही खाना भी नुकसानदेह होता है. आयुर्वेद में दूध के साथ और उसके बाद खाने-पीने की कई चीजों से परहेज करने की सलाह दी गई है.
1. उड़द की दाल खाने के बाद दूध नहीं पीना चाहिए.
2. दूध के साथ दही का सेवन नुकसानदायक हो सकता है. दोनों को साथ खाने से त्वचा संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है.
3. दूध के साथ मछली भी नहीं खाना चाहिए. दूध के साथ या फिर उसके बाद मछली खाने से त्वचा संबंधी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है.

4. दूध के साथ तिल लेना भी खतरनाक हो सकता है.
5. चेरी या फिर खट्टे फलों के साथ दूध का सेवन नुकसान पहुंचा सकता है.
6. नमक और नमक के इस्तेमाल से बनी किसी भी चीज को दूध के साथ नहीं लेना चाहिए.

हाई ब्‍लड प्रेशर को सामान्‍य करता है शवासन

कैसे करें शवासन
इस आसन को करने के लिए पीठ के बल लेटकर दोनों पैरों में ज्यादा से ज्यादा अंतर रखें। पैरों के पंजे बाहर और एडि़यां अंदर की तरफ होनी चाहिए। दोनों हाथों को शरीर से लगभग एक फिट की दूरी पर रखें। हाथों की अंगुलियां मुड़ी हुई हों और गर्दन को सीधा रखें, आंखों को भी बंद रखें। शवासन में सबसे पहले पैर के अंगूठे से लेकर सिर तक का भाग ढीला छोड़ देते हैं। पूरा शरीर ढीला छोड़ने के बाद सबसे पहले मन को श्वांस-प्रश्वास के ऊपर लगाते हैं और मन के द्वारा यह महसूस करते हैं कि दोनों नासिकाओं से श्‍वास अंदर जा रही है तथा बाहर आ रही है।

जब श्वांस अंदर जाती है तब नासिका के अग्र में हलकी-सी ठंडक महसूस होती है और जब हम श्वांस बाहर छोड़ते हैं तब हमें गरमाहट महसूस होता है। इस गर्माहट व ठंडक को अनुभव करें। इस तरह नासाग्रस से क्रमश: सीने तथा नाभि पर ध्यान केंद्रित करें। मन में उल्टी गिनती गिनते जाएं। 100 से लेकर 1 तक। यदि गलती हो जाए तो फिर से 100 से शुरू करें। ध्यान रहे कि आपका ध्यान सिर्फ शरीर से लगा हुआ होना चाहिए, मन में चल रहे विचारों पर नहीं। इसके लिए सांसों की गहराई को महसूस करें।
शवासन के फायदे

इस आसन को नियमित करने से श्वांस की स्थिति में हमारा मन शरीर से जुड़ा हुआ रहता है, जिससे शरीर में किसी प्रकार के बाहरी विचार उत्पन्न नहीं होते,  यानी नकारात्‍मक विचार नहीं आते। इस कारण से हमारा मन पूर्णत: आरामदायक स्थिति में होता हैं, तब शरीर स्वत: ही शांति का अनुभव करता है। आंतरिक अंग सभी तनाव से मुक्त हो जाते हैं, जिससे कि रक्त संचार सुचारु रूप से प्रवाहित होता है। और जब रक्त सुचारु रूप से चलता है तो शारीरिक और मानसिक तनाव घटता है। खासकर जिन लोगों को उच्च रक्तचाप और अनिद्रा की शिकायत है, उनके लिए यह बहुत ही फायदेमंद है।
थोड़ी सावधानी भी जरूरी

इस आसन का फायदा तभी है जब इसे करने दौरान आपकी आंखें बंद हों। हाथ को शरीर से एक फिट की दूरी पर व पैरों में एक से डेढ़ फीट की दूरी जरूरी है। इसमें शरीर को ढीला छोड़ देना चाहिए। श्वांस की स्थिति में शरीर को हिलाना नहीं चाहिए।
यह मानसिक शांति और शुकून प्रदान करने वाला आसन है, इसे करने से मन और दिमाग दोनों शांत रहते

Badam ka sevan kainsar se bachye

Badam ka sevan kainsar se bachye..
Posted by NG
बादाम स्‍वास्‍थ्‍य के लिहाज से बहुत फायदेमंद माना जाता है। हाल ही में वाशिंगटन में हुए एक शोध की मानें तो इसके सेवन से कैंसर जैसी खतरनाक और जानले वा बीमारी से भी बचाव किया जा सकता है।
almonds in Hindi शोध की मानें तो बादाम, जिसे अंग्रेजी में नट भी कहते हैं, खाने से कुछ खास प्रकार के कैंसर से बचा जा सकता है। यह हालांकि टाइप-2 मधुमेह में कारगर नहीं होता है।
इस अध्ययन में अध्यनकर्ताओं ने 30,708 मरीजों पर अध्ययन किया। मुख्य अध्ययन के लेखक और मिनेसोटा के रोचेस्टर में मायो क्लिनिक के शोधार्थी लैंग वू ने बताया, हमारे अध्ययन में पता चलता है कि बादाम खाने से कैंसर का जोखिम कम होता है। इस जानकारी का उपयोग जीवन में किया जा सकता है।

वू ने कहा, जो व्यक्ति कैंसर और हृदय रोग के जोखिम को कम करने के लिए बेहतर आहार अपनाना चाहते हैं, वे अपने खान-पान में बादाम को शामिल कर सकते हैं। उन्हें कैलोरी और वसा की मात्रा को देखते हुए विभिन्न बादामों में से सही बादाम चुनना होगा।
मायो क्लिनिक और मिनेसोटा के मिनियापोलिस में स्थिति मिनेसोटा विश्वविद्यालय के शोध लेखकों ने कहा विभिन्न प्रकार के कैंसर के साथ बादाम के प्रभाव को लेकर और अध्ययन किए जाने की जरूरत है।
शोध लेखकों ने कहा, बादाम खाने से कोलोरेक्टल कैंसर, इंडोमेट्रियल कैंसर और पैंक्रिएटिक कैंसर का जोखिम कम होता है। लेकिन अन्य प्रकार के कैंसर और टाइप-2 मधुमेह के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता है। अध्ययन की रिपोर्ट शोध पत्रिका न्यूट्रीशन रिव्यूज में प्रकाशित हुई है।